... इक़बाल से सवाल कर डाला कि "कहाँ हैं कहाँ हैं मुहाफ़िज़ खुदी के, जिन्हे नाज़ है हिंद पर वो कहाँ हैं ?"
.... खुद से और दरअसल हम सब से यह पूछा कि "यह दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है? "
... सबको बताया कि "अल्लाह तेरो नाम, ईश्वर तेरो नाम"
... सीता और मीरा को कुछ ऐसे देखा "बन बन भटकी जनक दुलारी पहन के प्रेम की माला... दर्शन जल की प्यासी मीरा पी गई विस का प्याला.."
इतना कुछ कह भी दिया लेकिन फिर खुद को ही मिटा भी दिया ...
" कल और आयेंगे नग़मों की खिलती कलियाँ चुनने वाले,
मुझसे बेहतर कहने वाले,तुमसे बेहतर सुनने वाले;
कल कोई मुझको याद करे,क्यूँ कोई मुझको याद करे?
मसरूफ ज़माना मेरे लिए क्यूँ, वक़्त अपना बर्बाद करे?
मैं पल - दो - पल का शायर हूँ, पल - दो - पल मेरी कहानी है "
आज इन्हें याद करने का दिन है। आज इनका जनमदिन है, 8th March